क्यूँकि इस दौर का चलन ही कुछ और है। क्यूँकि इस दौर का चलन ही कुछ और है।
जीत कर भी हारता हूँ, हार कर मैं जीतता। जीत कर भी हारता हूँ, हार कर मैं जीतता।
दिल के दरवाज़े पर फिर दस्तक कभी किसी की हुई नहीं। दिल के दरवाज़े पर फिर दस्तक कभी किसी की हुई नहीं।
तुम्हारे दिल के घर के दरवाजे की खिड़की तक पहुंच ही लेती हूं। तुम्हारे दिल के घर के दरवाजे की खिड़की तक पहुंच ही लेती हूं।
कसकती है रोशनी कोई हमें अंधकार दे दे दिल का सुकून कोई हमें उधार दे दे। कसकती है रोशनी कोई हमें अंधकार दे दे दिल का सुकून कोई हमें उधार दे दे।
जब भी इन आँखों से, झर झर कर आँसू बहते है। क्यों लड़की जैसे रोते हो, लोग यही तो कहते ह जब भी इन आँखों से, झर झर कर आँसू बहते है। क्यों लड़की जैसे रोते हो, लोग ...